फोटो में दिखाई दे रहे ये चेहरे मासूमियत गवाही दे रही है कि अभी खेलने कूदने की उम्र है..
लेकिन बचपन में ही यह बच्चे ख़ास बन गए। जी हैं यह बच्चे हाफ़िज़ ए कुरआन बन चुके हैं।अर्थात मुकद्दस कलाम पाक को इन्होंने कण्ठस्थत कर लिया है। इनके नाम हाफ़िज़ मुहम्मद मुजाहिद, हाफ़िज़ मुहम्मद इनाम अली और हाफ़िज़ मुहम्मद सैफ़ है। खेलने कूदने की उम्र में इन बच्चों का इतनी बुलंदियों पर पहुँचने के पीछे यकीनन उनकी मेहनत व लगन है। लेकिन दाद देनी होगी इन हाफ़िज़ों के उस्ताद हाफ़िज़ निज़ामुद्दीन मोहरिया वालों को. जो लकवा ग्रसत होने के बावजूद दीन की खातिर बच्चों को उनकी मंजिल तक पहुंचनाने दिन रात जुटे रहे. आज़ाद नगर मुहरिया में हुए जलसे में रहबरे शरियत, काज़िए शरआ,मुफ़्ती ए आज़म।
जबलपुर हज़रत अल्लामा हाफ़िज़ मुफ़्ती नईम अख़्तर मिस्बाही ने इन हाफ़िज़ों की दस्तारबंदी कर उन्हें सनद अता की. मुफ़्ती ए आजम हज़रत मौलाना मुशाहिद रज़ा कादरी की सरपरस्ती में हुए जलसे को हज़रत मौलाना फ़रीद अहमद कादरी व हज़रत मौलाना सुल्तान अशरफ़ी ने ख़िताब किया. सुब्बाह शाह दरगाह शरीफ के सज्जादानशीन बदरूद्दीन गूडडू बाबा, अपोलो हॉस्पिटल हैदराबाद के सीनियर कंसल्टेंट डाक्टर एएस कुरैशी, मुमताज़ अहमद, पप्पू पेन्टर, पत्रकार कलीम खान आदि ने बच्चों को मुबारकबाद दी।